हर रोज़ एक जंग, हर बार एक हार।
जीत भी मेरी, हर बार मेरी ही हार।
टूटेगा जब ये शीशा, जो है मेरे आर पार
होगी न कोई जंग, न होगी मेरी हार
All that is; and all that is not.
हर रोज़ एक जंग, हर बार एक हार।
जीत भी मेरी, हर बार मेरी ही हार।
टूटेगा जब ये शीशा, जो है मेरे आर पार
होगी न कोई जंग, न होगी मेरी हार
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